JustPaste.it

शाइख आनोआर आल औलाकि राहिमाहुल्लाह का लेक्चर ‘Whoever desires to look forward to meeting Allah Suhanahu Wa Ta'la’   की हिन्दी अनुवाद

                                                                 

   الحمد لله و الصلاة والسلام على سيدنا محمد  وعلى اله وصحبه وسلم    

مَنْ أَحَبَّ لِقَاءَ اللهِ أَحَبَّ اللهُ لِقَاءَهُ وَمَنْ كَرِهَ لِقَاءَ اللهِ كَرِهَ اللهُ لِقَا

 

जो व्यक्ति अल्लाह की साथ मुलाकात करने का इच्छा रखता है, अल्लाह भी उसके साथ मुलाकात करने में पसंद करता है।अल्लाह भी उसके साथ मुलाकात करने में पसंद करता है।

 

और जो व्यक्ति अल्लाह के साथ मुलाकात करने में ना पसंद करता है, अल्लाह भी उसके साथ मुलाकात करने में ना पसंद करेगा। जब आयशा रा: ने यह बात सुना। आयशा रा: ने  सवाल किया। जब उन्हें कुछ समझ नहीं आता था, तो वह सवाल पूछते थे। तो उसने रसूलुल्लाह सा:  से कहा,

ومن منا لا يكرها الموت ؟

और हमने से कौन मृत्यु को ना पसंद नहीं करता ?

 

हम मृत्यु को ना पसंद करते हैं ! क्या इसका मतलब यह है कि, हम अल्लाह से मुलाकात करने में नापसंद करते हैं ? रसूलुल्लाह सा: ने कहा,'' ليس ''كذلك  नहीं , मेरा यह मतलब नहीं है ! रसूलुल्लाह सा: कहता है,

 

ولَكِنَّ المُؤْمِنَ إذا حَضَرَهُ المَوْتُ بُشِّرَ برِضْوانِ اللَّهِ وكَرامَتِهِ، فليسَ شَيءٌ أحَبَّ إلَيْهِ ممَّا أمامَهُ؛ فأحَبَّ لِقاءَ اللَّهِ، وأَحَبَّ اللَّهُ لِقاءَهُ،

 लेकिन मोमिन जब मौत के करीब उपस्थित होते हैं । उसको यह खुशखबरी दी जाएगी कि, अल्लाह उसके पर संतुष्ट है और इसलिए उस को सम्मानित करेंगे। इसीलिए उसका भविष्य उसके पास सबसे पसंदीदा चीज हो जाता है, जो उनके  सामने ही है। और वह अल्लाह के साथ मुलाकात  करना चाहते हैं, इसीलिए अल्लाह भी उसके साथ मुलाकात करने में पसंद करेंगे।

 

وإنَّ الكافرَ إذا بُشِّرَ بعَذابِ اللَّهِ وعُقُوبَتِهِ، فليسَ شَيءٌ أكْرَهَ إلَيْهِ ممَّا أمامَهُ؛ كَرِهَ لِقاءَ اللَّهِ، وكَرِهَ اللَّهُ لِقاءَهُ

लेकिन जब अविश्वासी मौत के करीब होते हैं। तब उसको यह खबर दिया जाता है कि, अल्लाह तुम पर नाराज हुआ है इसलिए जरूर तुम्हें सजा देंगे। इसीलिए उसके पास सबसे ना पसंदीदा चीज होता है، जिसका सा सामना वह करने जा रहा है !  

 

इसीलिए वह अल्लाह के साथ मुलाकात करने मैं नापसंद करता है, और अल्लाह भी उनके साथ मुलाकात करने में नापसंद करता है। यहां तक   की उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी, जब उसके जनाजा के लिए ले जाया गया। बुखारी से वर्णित एक हदीस में रसूलल्लाह सा: कहते हैं। रसूलल्लाह सा: कहते हैं,

 

إذَا وُضِعَتِ الجِنَازَةُ، فَاحْتَمَلَهَا الرِّجَالُ علَى أعْنَاقِهِمْ، فإنْ كَانَتْ صَالِحَةً قالَتْ: قَدِّمُونِي، قَدِّمُونِي، وإنْ كَانَتْ غيرَ صَالِحَةٍ قالَتْ: يا ويْلَهَا، أيْنَ يَذْهَبُونَ بهَا؟ يَسْمَعُ صَوْتَهَا كُلُّ شيءٍ إلَّا الإنْسَانَ، ولو سَمِعَهَا الإنْسَانُ لَصَعِقَ

 

जब उसके जनाजा अनुशुचित होते हैं और जब उस व्यक्ति को कंधे में ले जाती है । अगर यह एक मोमिन व्यक्ति है ! अगर यह एक मोमिन व्यक्ति है तो कहेगा, जितनी जल्दी संभव मुझे ले जाओ। इस व्यक्ति कबर में जाने के लिए व्यस्त हो  जाएगा । क्योंकि वह अल्लाह से इनाम के लिए उम्मीद करता है।

और रसूलुल्लाह सा: कहते हैं, अन्यथा अगर यह एक खराब लोग होते हैं ! तब वह कहेगा, ''अफसोस! तुम लोग मुझे कहां ले जा रही हो ?'' और रसूलुल्लाह सा: कहते हैं, और इंसान के बगैर हर किसी ने यह आवाज सुन पाएगा। और अगर इंसान यह सुन सकता था ! तब वे इस झटके  (चिल्लाने की आवाज) में मर जाते !

 

इस झटके उसका मौत का कारण होता ! यदि वे उस व्यक्ति की वह आवाज सुने जो कह रही है,'' मुझे वहां पर मत लेकर जाओ। तुम सब मुझे कहां ले जा रही हो ? अफसोस इस लोग के लिए ! तुम सब मुझे कहां ले जा रही हो ?'' रसूलुल्लाह सा: कहते हैं, अगर लोग यह सुन सकता था तो, तो  वह सब मर जाते। वह सब इस झटके के कारण मर जाते थे! झटके में, एक झटके में मर जाते , झटके के कारण !

 

वही असलियत है जो हम नहीं जानते , यही असलियत है।  रसूलुल्लाह सा: कहते हैं, अगर तथ्य ऐसा नहीं होता  कितुम मुर्दा को दफन ना करते ! तो फिर मैं अल्लाह से अनुरोध करता था, इस कबर वासियों की चीख सुनाई देने के लिए ! कब्र की लोगों की चीख  (उनके आवाज) ! रसूलुल्लाह सा: कहते हैं, अल्लाह SWT, मैं उस से अनुरोध कर सकता था , इस कबर वासियों की चीख सुनाई देने के लिए । कबर की आजाब का ! लेकिन मैं डरता हूं कि अगर मैं ने ऐसा किए, तो फिर तुम लोग मुर्दा को और दफन आओगी नहीं 

 

صلى الله على سيدنا محمد وعلى اله وصحبه وسلم تسليما كثيرا 

 

 

अनुवादक

 

अस-साईफ टिम